इश्क उसका लिखते हैं
इश्क उसका लिखते हैं
प्यार तुझको खुद से ज्यादा करते हैं हम
तेरी हर एक अदा पे तो मरते हैं हम
वो तेरा मुस्कुराना, वो शर्म-ओ-हया
इन निगाहों से तुम्हें देखते हैं हम
अभी पास आके बस गुजरे हैं वो
छुअन उनकी महसूस करते हैं हम
इश्क में मेरे साथ मसरूफ वो हो ही गया
उसके जैसा कोई है नहीं ये कहते हैं हम
चलो आज हम संग-संग जी लें
तुझे पाके ही तो संवरते हैं हम
मेरा हकदार, मेरा एक हिस्सा है वो
इश्क उसका आज लिखते हैं हम
प्यार तुझ को खुद से ज्यादा करते हैं हम
तेरी हर एक अदा पे तो मरते हैं हम