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LALIT MOHAN DASH

Abstract Inspirational

4  

LALIT MOHAN DASH

Abstract Inspirational

जाते हुए दिसंबर

जाते हुए दिसंबर

2 mins
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ए जाते हुए दिसंबर! जरा ठहरो !जरा ठहरो!

कुछ लम्हे याद करूं मैं,

कुछ तो तुझसे चुन लूं मैं

विदाई गीत है गाना,

जनवरी के स्वागत में

फिर से फूल बिछाना ।

ए जाते हुए दिसंबर! जरा ठहरो !जरा ठहरो!

साल 2023 का अवसान है,

2024 का है आगमन

हर साल तू इस चौखट से बस,

उस चौखट तक जाता है,

सदा सब तुझे विदाई देते हैं,

जनवरी फूलों सा खिल जाता है ।

ए जाते हुए दिसंबर! जरा ठहरो !जरा ठहरो!

खुश किस्मत सा है तू दिसंबर,

तुझे विदाई तो मिलती है,

बाकी दसों महीनों को तो

सिर्फ जुदाई मिलती है।

अरे हर साल विदाई पर,

तुझे कैसा लगता होगा

तू कितना तड़पता होगा ?

ए जाते हुए दिसंबर! जरा ठहरो !जरा ठहरो!

जीवन के इस मेले में,

मिलन और जुदाई है ।

पुनर्मिलन की रीत,

सदा तूने निभाई है ।

हर साल ढाढस देता है

और बेहतर होकर आऊंगा ।

आज नहीं रोको मुझको,

मैं जाऊंगा ही जाऊंगा ।

ए जाते हुए दिसंबर! जरा ठहरो !जरा ठहरो!

तुम हर साल जन्मदिन मनाते हो

मैं भी तो बड़ा होता जाता हूँ ,

तुम क्यों उदास हो जाते हो,

मैं हर बार ही तो आता हूँ।

दिसंबर तुमको भी एक और साल,

बड़ा होने की बधाई है,

चारों तरफ खुशी छाई है।

ए जाते हुए दिसंबर! जरा ठहरो !जरा ठहरो!

अलविदा 2023 दिसंबर.....



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