जग के कारण राम
जग के कारण राम
साँवला रंग मधुर मुस्कान,
और मुक्ति के धाम।
ध्यान करूँ उनका जो है,
जग के कारण राम।।
मनोहर रुप और तेजवान,
भक्त वत्सल स्वामी दयानिधान।
भ्रम और भय को हरने वाले,
जगहित चरित्र करने वाले।
रुप आपका कुछ ऐसा दमके,
जैसे बिजली बादल में चमके।
कोमल चरण फिरे वन वन,
किया उद्धार सबका भगवन।
जब माँ सबरी से मिलने आए,
प्रेम में डूब झूठे बेर थे खाए।
भक्ति महिमा आपने था बताया,
जब नवधा भक्ति गा के सुनाया।
मिले भक्ति मुक्ति और शक्ति उनको,
जो आए आपके शरण।
अहिल्या का भी किया उद्धार आपने,
छुए जो आपके चरण।।