जीवनसाथी
जीवनसाथी
जीवनसाथी.....
रिश्ता, कैसा है अजीब सा ये रिश्ता,
उसके बिना इक पल रह न सकूं,
उसके संग हर पल लगता है कम।
न करता है वो ढेरों बातें,
फिर भी ना जाने क्यों,
यूं लगता है कि हर पल करती रहूं,
मैं उसकी बातें...।
उसके संग लड़ना झगड़ना,
रूठना मनाना, हंसना बोलना, नोंक झोंक करना।
उम्मीदें लगाना, कभी कुछ उम्मीदों का पूरा होना,
कुछ का टूट जाना.....।
जिंदगी की उलझनों में,
अक्सर अपने रिश्ते को समय न दे पाए।
यूं ही जिम्मेदारियों को इक दूजे के संग पूरा करते हुए,
बीत गए कई साल, फिर भी यूं लगता है कि,
कल ही तो मिले थे हम पहली बार ।
यूं ही बीत जाए, मेरे जीवन की हर सांस संग तुम्हारे
इक दूसरे के साथ बीते संपूर्ण जीवन हमारा ।
क्योंकि हैं हम जीवनसाथी।।
एक प्यारा सा रिश्ता.....जीवनसाथी का।