जल है तो कल है
जल है तो कल है
कभी भविष्य में,
जब सब रोओगे,
जल के जो स्त्रोत हैं,
बो सब खोओगे,
न ही होगी नहर,
न कोई नाला,
न निगल पाओगे,
कोई निवाला,
कभी भविष्य में,,,,,,,,,,,,,,
कूँऐ तो हैं ही नहीं,
और नल भी द्वन्द हैं,
चल रही मोटर,
अब बो भी बंद है,
कभी भविष्य में,,,,,,,,,,,,
पानी- पानी करोगे,
सरकार को दोष धरोगे,
नेता न कर पायेंगे कुछ,
बिन पानी मौत मरोगे,
कभी भविष्य में,,,,,,,,,,,,
कहता हूँ अरे यारो,
जल को तुम बहाओ ना,
जल कर एकत्रित तुम,
अपना कल बनाओ ना,
कभी भविष्य में,,,,,
ना देखोगे जल बिन तो,
जीवन इस धरती पर,
आज का सूरज देख लिया,
ना दिखेगा सूरज कल,
कभी भविष्य में,,,,,,,,,,,,,