काम जब मन का नहीं।
काम जब मन का नहीं।
जिंदगी में इस तरह की कोशिशें कर लीजिए।
प्रेम सबसे कीजिए फिर आनंद से रह लीजिए।
जहां कर सकते हैं वहां पर मेहरबानी कीजिए।
है हृदय में दया ढेरों वह दया सब पर कीजिए।
हैं अनेकों लोग ऐसे बुरा तेरा जिन ने किया।
उनकी गलती को भुला कर के क्षमा कर दीजिए
जब काम में आनंद आने लगे तो यह मानिए।
जिंदगी सुंदर हुई है अब आनंद इसका लीजिए।
काम जब मन का नहीं तो जिंदगी नीरस लगे
और जीवन गुलामी का सा लगे तो क्या कीजिए।