खेल किस्मत का
खेल किस्मत का
मोहब्बत करके भी हमने देख लिया
बस धोखे ही धोखे मिले,
और हम खामोश से खड़े अपना
आशियाना लुटते हुए देखते रहे ,
आँखों के आँसूओं को भी हमने
आँखों में रोकने की कोशिश की,
पर वो तो सैलाब बनकर हमको ही
डुबोते चले गए और हम खामोश
खड़े देखते रहे,
वफा हमने हद्द से ज्यादा कर ली उनसे
कि दुनिया भी हर महफ़िल में मेरी
वफाओं के चर्चे करने लगी,
तुम फिर भी हमको आज़माते रहे
इम्तिहान लेते रहे और हम खामोशी से
हर इम्तिहान देते चले गए ,
इबादत हमने अब कर ली ख़ुदा की
क्योंकि ढूंढने पर तो ख़ुदा भी मिल जाता है ,
हम तुम तुम हम ना मिल पाएंगे कभी ये
खेल किस्मत का समझ गए है ।।