किसी पँख की तरह
किसी पँख की तरह
किसी पंख की तरह यहाँ वहाँ ना भटकते रहो
अपना एक आशियाना बसा लो मेरे हमराज
वो कहता है मुझसे कब तक भटकोगे तुम,
अब तो किसी को अपना साथी बना लो,
ना करो बर्बाद खुद को किसी की हो जाओ,
किसी के घर आंगन की रौनक बन जाओ,
कब तक काटोगी जिंदगी का सफर तन्हा,
कोई साथ होगा तो रास्ता आसान होगा,
डर लगता है हमको किसी को अपना बनाने से,
दिल टूटने का दर्द बहुत ही गहरा होता है,
ये ज़ख़्म कभी भरते नहीं तमाम उम्र,
बार बार ये दर्द सह नहीं सकते हम,
बहुत जख्म मिले है जीवन की राहो में,
चन्द रोज की ये जिंदगी बची है चैन से जी लेने दो,
और भी गम है जमाने में मोहब्बत के सिवा,
उन गमों के ज़ख़्मों को तो भरने दो ।