* कठपुतली*
* कठपुतली*
ज़िन्दगी के रंगमंच
पर अपना किरदार बखूबी
निभाना चाहता हूं
किसी के हाथों की
कठपुतली बनकर नाचूं
मुझे मंजूर नहीं
मेरी अपनी सोच
मेरी अपनी रजा
उसी में जीने का मज़ा
जीवन है एक सुन्दर सपना
सपना सच हो हम सब का अपना
नहीं बने कोई गुलाम किसी का
जीवन सबका अनमोल
इसका ना करना कभी मोल
जो दिल से निकले ऐसी
मीठी वाणी बोल
लोगों के दिलों को जीतने तेरा हो शौंक
नहीं सकता तुझे कोई
शुभ कर्मों को करने से रोक।