Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

AMAN SINHA

Abstract Romance

4  

AMAN SINHA

Abstract Romance

कुछ बदला सा

कुछ बदला सा

1 min
430


कुछ बदला-बदला सा ये जहां नज़र आता है, 

राह अब भी है वही पर, अजनबी सा नज़र आता है

तन तो हमेशा ही अपना था मगर,

न जाने क्यों अब पराया सा नज़र आता है

 

ज़िंदगी को हमने कुछ यूं गुज़रते देखा

जैसे रेत को बंद मुट्ठी से फिसलते देखा

ज़ोर जितना भी लगाया रोकने में उसे

छोटे से छेद से जिंदगी को निकलते देखा


एक आहट सी हुई किसी के आने की जैसे

साँसो में घुल सी गयी किसी की खुशबू जैसे

इस खुशबू से मेरा वास्ता एक अरसे से रहा

रूह में समा गयी हो कोई भूली सी तस्वीर जैसे


किसी के आस में हम ये नज़रें बिछाये बैठे है

वैसे तो खत्म हैं फिर भी खुद को जिलाए बैठे है

कुछ पल को ही सही रूहे-सुकून मिल जाए

इसी इंतज़ार में अपने जनाज़े से कहीं दूर जाकर बैठे है


हर बीतता पल अगले को कुछ बोल गया

सब खाली ही रहना है राज़ ये खोल गया

चाहे जितना भी समेटो तुम राहे-ज़िंदगी में

झोली में छेद है सभी के पर सबका ईमान डोल गया


अपने सर पर कर्ज़ तमाम रक्खा है

अपनी झोली से ज्यादा समान रक्खा है

मंजिल हैं दूर और राह जरा भी आसान नहीं

हमने सितारों से आगे अपना मुकाम रक्खा है


मिलना ही चाहो तो कोई भी दूर नहीं होता

जो दिल से हो मजबूर कभी मगरूर नहीं होता

वैसे तो कई बहाने हैं न मिलने के लेकिन

फितरत से जो खुश हो गमों से चूर नहीं होता


Rate this content
Log in