मैं साथ चलूँगा
मैं साथ चलूँगा
"मैं साथ चलूँगा ...."
हर बार बस यही ज़वाब ,
क्यूँ नहीं जाने देते हो मुझे अकेले ?
दो इसका जवाब ?
तेइस साल गुजर गए तुम्हारे साथ,
जब सुख-दुख के साथी बने थे
हम एक-साथ,
क्या अब भी भरोसा नहीं बोलो
मुझ पर मेरे जनाब ?
मैं तुम्हें छोड़कर कहीं भाग
नहीं जाऊँगी,
ये वादा है मेरा कि कहीं और
ना दिल लगाऊँगी,
बस एक बार मुझे इस आसमां में
उड़ने की इजाज़त दे दो ,
चाहे फिर सारी उम्र अपनी गुलामी
का मुझसे वचन ले लो
सुनो, ये ज़माना अब बदल चुका है ,
देखो, अब औरत को दर्जा मिलने लगा है ,
यहाँ कलयुग की रामायण का
लगता दरबार है,
गर रावण है तो सीता भी अब तैयार है
फिर तुम क्यूँ किसी धोबी की
बातों से दिल लगाते हो ?
क्यूँ मेरी अग्निपरीक्षा लेकर
अपना रोज़ दिल बहलाते हो ?
मैं सीता नहीं जो रोज़
तुम्हें इम्तिहान दूँगी ,
इतनी कमज़ोर नहीं जो
तुम्हारे लिए अपनी जान दूँगी
इसलिये अब बंद करो अपना ये व्यापार ,
जाने दो मुझे भी अकेले सिर्फ एक बार ,
ये सांसें तुम्हारी ही रहेंगी इस
ज़िस्म में जान है जब तक,
सीता की अग्निपरीक्षा आखिर कब तक ???