निश्च़य
निश्च़य
स्याह अंधेरे को भोर की लालीमा से हराना होगा,
आत्मविश्वास की अलख जगा हर मुश्किल पर पार पाना होगा।
जीतने की हद तक लड़ना होगा,
हर पराजय को भूलना होगा।
अपना पराया सब भेद मिटाना होगा,
जो अपना ले उसे गले लगानाा होगा।
अतीत सेेे सबक ले संयम सेे जीना होगा,
हर खुशी को जश्न की तरह मनाना होगा।
चल उठ आगेे बढ़ मुस्कुराना होगा,
कठिन हैैैै डगर जीवन की पर मंजिल को पाना होगा