ऑंवले का वृक्ष
ऑंवले का वृक्ष
वह ऑंवले का वृक्ष
जिसकी डालियाँ लदी हैं ऑंवलों से,
अपने हाथ से तोड़े ऑंवले जाकर,
जिसके टहनी सूनी छत पर झुक आई है।
छोटे बड़े सभी आँवले लदे हैं,
पेड़ की सुंदरता
देखते ही बनती है,
प्रकृति का अनुपम उपहार है यह।
ऑंवले का मुरब्बा
ऑंवले का अचार,
काम की क्या कमी है
मैं अकेली कहॉं हूँ।
बहुत समय माँगता है यह सब,
यह भी तो बंधन ही है,
मन के बंधन हैं यहाँ,
अकेलापन कहाँ है।
व्यक्ति से ही संगति नहीं बनती,
पर्यावरण भी संगति बनाता है,
वृक्ष भी साथ देते हैं,
अपने स्वजन से लगते हैं।