फीकी खुशी
फीकी खुशी
अब त्योहारों की रंगत फीकी सी होने लगी है,
लोगों के चेहरे दरबदर बदलने लगे हैं,
अब कहां है ईद दशहरा और दिवाली,
अब मुकम्मल इस पैसों के जहां में,
अब फीकी मुस्कान बसने लगी है।
अब त्योहारों की रंगत फीकी सी होने लगी है,
लोगों के चेहरे दरबदर बदलने लगे हैं,
अब कहां है ईद दशहरा और दिवाली,
अब मुकम्मल इस पैसों के जहां में,
अब फीकी मुस्कान बसने लगी है।