प्रेम रंग
प्रेम रंग
ऋतु बसंत आई आया है होली का त्योहार
पिया संग खेले होली आओ करे रंगों से वार
आज मोहे प्रेम रंग लगाओ और बैठो मेरे पास
तुम संग खेले होली देखो आया फागुन मास
गोरे गोरे गालों पर जब पिया ने लगाया रंग
भर लाए पिचकारी भिगो दिया मोरा पूरा अंग
बढ़ गई प्रेम भावना जब पिया संग खेला रंग
मैं तो खो गई तुममें जब लगा गया प्रीत का रंग
मैं इठलााती मैं इतराती ओढ़ चुनरिया पिया संग
बरसो बाद आए पिया आज मिलकर खेले रंग
हाथों में रंग गुलाल लिए झूम रहा आज मन मेरा
भर दो पिया आज प्रेम रंग से पूरा अंग अंग मेरा
तुम संग होली खेलने आज रूप रंग निखारा है
रंगों से रंग दो उन केशों को जिन्हें मैंने संवारा है
भर लो पिचकारी पिया खुशियों के रंग बहा दो
भूलकर सारे गिले-शिकवे प्रेम से गले लगा लो
चटक फागुनी धूप खिली है देखो नील गगन में
रंगों की बरसात हो रही आज प्रेम के आंगन में
आज फागुन मास में पवन शीतल शोख चंचल है
पिया जब आए फिजा में मस्ती दिल में हलचल है!