प्रिय
प्रिय
बांध लो मुझे अपने से
दूर ना हो जाऊँ कहीं
प्रिय तुम्हारे मन में बसी हुई हूं
इतना तुम निभा जाओ
व्याकुलता से भरे ये नयन
जो तुम मुझे नहीं दिखते
लगन है ये तुमसे
बांध लो मुझे अपने से।
मेरे खेवानहर बन जाओ
मेरी पतवार
दूर कहीं ले जावों
झिलमिलाती पानी। की बूंदे
मेरी आंखो मै डाल दो
ऐ नीर बंध जा फिर एक बार
दूर ना हो जाए कहीं