सच पे चलना सच पे चलना सच पे चलना
सच पे चलना सच पे चलना सच पे चलना
सच पे चलना,
सच पे चलना,
सच पे चलना,
चाहे कैसा भी आए वक्त,
सदा ही सच पे चलना।
है मतलब की दुनिया,
और मतलब का रिश्ता,
मतलब का है व्यंवहार,
और मतलब का किस्सा,
फिर ऐसी दुनिया से,
तू क्यों हैं प्रीत लगाए।
सच पे चलना,
सच पे चलना,
सच पे चलना,
चाहे कैसा भी आए वक्त,
सदा ही सच पे चलना।
है झूठ की ये दुनिया,
कोई मुश्किल से है सच्चा,
भटक गया है आज इंसान,
विवेक भुलाकर अपना,
फिर ऐसी दुनिया में,
तू क्यों है खुद को फंसाए।
सच पे चलना,
सच पे चलना,
सच पे चलना
चाहे कैसा भी आए वक्त,
सदा ही सच पे चलना।
चलेगा साथ ना कुछ भी,
यहां तूने जो कमाया,
रहेगा सब कुछ यहीं पर ही,
जो तूने है बचाया,
फिर ऐसी माया के,
लिए क्यों झूठ कमाए।
सच पे चलना,
सच पे चलना,
सच पे चलना,
चाहे कैसा भी आए वक्त,
सदा ही सच पे चलना।
होगा हिसाब हर पल का,
जब इस दुनिया को छोड़ेगा,
सच्चा झूठा जो भी होगा,
कर्म वो ज़ाहिर होगा,
फिर नेकी पर चल के,
जीवन क्यों न तू सफल बनाए।
सच पे चलना,
सच पे चलना,
सच पे चलना,
चाहे कैसा भी आए वक्त,
सदा ही सच पे चलना।