सदा रहें सन्नद्ध देश हित
सदा रहें सन्नद्ध देश हित
कभी न दुश्मन के वश हो
हृदय रहे विजिगीषु वृत्ति ही,
चहूँदिशि विजय श्री यश हो
सत्य धर्म आरूढ़ रहे
कर्म वचन जस के तस हो
एक-एक एकादश हो
न तो अपने टूट सके
न ही अपने रूठ सकें
अपना सदा प्रयास रहे,
शत्रु कभी न लूट सके.
सदा रहें सन्नद्ध देश हित,
फूट लड़ाई अब बस हो
एक-एक एकादश हो।