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मिली साहा

Abstract

4.9  

मिली साहा

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श्रीकृष्ण की लीला महादेव का हठ

श्रीकृष्ण की लीला महादेव का हठ

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नारायण ने श्री कृष्ण रूप में धरती पर जब लिया अवतार।

बाल रूप के दर्शन को देवता सहित लोगों की लगी कतार।।

एक-एक कर आए सभी देवी देवता अपना रूप बदलकर।

कंस के भेजे असुर भी आ गए मौके का फायदा उठाकर।।

बाल रूप में भी श्री कृष्ण ने सभी असुरों का किया संहार।

किंतु माता यशोदा को हो गई चिंता देख असुरों का प्रहार।।

सख्त पहरा बैठा दिया चौखट पर कोई भीतर न आने पाए,

नहीं चाहती थी यशोदा लल्ला को कोई नुकसान पहुँचाए।।

किन्तु श्री कृष्ण भक्त कैसे रह पाते उनके बाल रूप से दूर।

महादेव भी थे अपने आराध्य का ये रूप देखने को आतुर।।

नारायण के बाल रूप की छवि आँखों में लेकर बम भोला।

आ पहुँचे गोकुल नगरी नंद के द्वारे पहनकर भगवा चोला।।

क्या चाहिए बाबा आपको यशोदा ने पूछा द्वार खोल कर।

लल्ला के दर्शन करा दो मैया कुछ ना मांगूँ इससे बढ़कर।।

कुछ और मांग लो तो दे दूंगी पर दे नहीं सकती यह आज्ञा।

प्रेम से आग्रह कर रही हूँ बाबा करना नहीं चाहती अवज्ञा।।

किन्तु भगवान शिव भी हठ कर बैठे दर्शन बिन न लौटूँगा।

जन्मो जन्म तक करना पड़े भी इंतजार द्वारे बैठ करूँगा।।

दोनों की ऐसी हठ देख कर बाल कृष्णा मंद मंद मुस्काए।

लगे सोचने कान्हा कैसे मानेगी मैया कैसे मिलन हो पाए।।

युक्ति सूझी बाल गोपाल को द्वार ओर देख लगे बिलखने।

गोद में उठाकर यशोदा बहलाए पर कान्हा भी कहाँ माने।।

रूदन सुन लल्ला का नंद भी दौड़े आए छोड़ सारे काज।

द्वार ओर ही क्यों देख लल्ला रोए जाए कैसा इसमें राज़।।

नंद की नज़र पड़ी तभी बाहर खड़े तेजस्वी उस तपी पर।

कौन है यशोदा ये महात्मा कब से खड़े हैं हमारे द्वार पर।।

लल्ला से मिलने की हठ इनकी पर कैसे इनको मिलने दूँ।

जाने कौन हैं ये किस वेश में आए लल्ला को कैसे सौंप दूँ।।

क्या भूल गए आप हमारे लल्ला पे हुआ जो दानव प्रहार।

मानव रूप में राक्षसी वो बिखेरने आई थी हमारा संसार।।

किन्तु यशोदा हमारा लल्ला इस गोकुल का है राजकुमार।

मिलन इच्छुक लोगों पर हम ऐसे बंद नहीं कर सकते द्वार।।

ममता के हाथों मजबूर यशोदा हठ छोड़ने को नहीं तैयार।

नटखट कन्हैया भी कहाँ कम थे बहाने लगे अश्रु की धार।।

करने लगे इशारा द्वार जाने का देख नंद यशोदा अचंभित।

अब तो श्रीकृष्ण भी हठ पे अड़े रूक नहीं सकते किंचित।।

यशोदा बोली तब नंद से देख लल्ला के रूदन की हद पार,

जाओ कन्हैया के बाबा ले आओ महात्मा को भीतर द्वार।।

मुस्कुरा रहे महादेव भी बाल गोपाल की देख ऐसी लीला।

महादेव नारायण दोनों मिलन को आतुर चेहरा था खिला।।

मन ही मन मुस्काए कन्हैया सफ़ल हुआ मैया को मनाना।

अद्भुत दृश्य था ये महादेव की गोद में बालरूप नारायणा।।

बड़ी ही अनोखी लीला थी ये बड़ा ही अनोखा था मिलन।

समझ न पाए नंद यशोदा महात्मा संग कैसा है यह बंधन।।



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