श्वांश क्यों नहीं हर ले लेती हो
श्वांश क्यों नहीं हर ले लेती हो
श्वाश क्यों नहीं हर ले लेती हो???
जहां गर्भ की अनुभूति करना था
वहां कुछ लोग तू तू मैं मैं करता है
भुखा भेड़िया कुत्ता सा
लपकने झपकने लगता है।।
प्रयोग संयोग षड्यंत्र आदि आदि
कह कर राजनीति करने लगता है
मानसिक गुलाम हैं कुछ लोग
जो गुलामी का प्रतीक देता है।।
हालांकि चोट बहुतों को होता है
पर कुछ कहता कुछ चुप रहता है
सकुनी का पास देख देख कर ही
लोग यहां का चलता है।।
अपने स्वार्थ के लिए
इतना निचे तक गिर जाता है
सेना पर अभद्र टिप्पणी
करने से ना चुकता है।।
ऐ मां भारती तुम्हीं बता
क्षमा कैसे कर देती हो
राम शिया पर सवाल करने वालों का
श्वाश क्यों नहीं हर ले लेती हो???