सफलता की कुंजी
सफलता की कुंजी
सफलता की कुंजी मेहनत है,
जितना करो परिश्रम,उतने सफल हो
पर भाग्य और तकदीर भी जरूरी है,
उसके बिना सब सक्सेस अधूरी है।
आज का परिदृश्य बदल सा रहा है
अब मेहनत और तकदीर में चापलूसी
भी साथ में जुड़ने लगा है।जो जितना
बड़ा चापलूस,उतना सफल होने लगा है।
सत्य, ईमानदारी और मेहनत से जो
काम पहले संपूर्ण होते थे, वो अब
चमचा गिरी,जी हुजूरी और झूठी
वाहवाही से निबटने लगे हैं।
लोग क्यों इस कदर भटकने लगे हैं ?
सफलता का ये बहुत शॉर्ट कट है,दोस्तों।
जिस तरह तुरत फुरत ये आई है, वैसे जायेगी भी,
जितना अर्श पर चढ़ाया तुम्हें, फर्श पर लाते न हिचकिचाएगी भी।
सफलता का वही एक रास्ता था और रहेगा।
अपने बाजूबल पर भरोसा बनाए रखो,
मन में विनम्रता का सागर बहाए रखो,
सफल होने पर अहंकार से खुद को बचाए रखो ।
फिर सफल होने से तुम्हें कोई रोक नहीं सकता,
जो असफलता से नहीं डरते,उसका डट कर
मुकाबला करते,सफल होकर दिमाग खराब नहीं
करते, वो सफलता के और सफलता उनकी होकर रहते।