सुख-दुख
सुख-दुख
सुख के दरमियान सब होते हैं साथ साथ
दुख के दरमियान कोई न देता साथ।
सुख के वक्त खुशियां बहुत आती है
गम के वक्त याद बड़ी आती है।
गम बांटने कोई नहीं आता
खुशियां छोड़कर कोई नहीं जाता।
समय-समय एक गूंजती आवाज मेरे मन में
इतना तो बदलाव न होता कभी पवन में।
पवन तो मुक्त है जो अपनी मर्जी से बहती
इंसान ही एक बंधन है हमेशा मुझे कहती।
इस बदलाव को ठहराव की जरूरत है
इस बहाव को बांध की जरूरत है।