हर आशा हर जिज्ञासा बिन कोई तमाशा। हर आशा हर जिज्ञासा बिन कोई तमाशा।
जज्बात समेटते रह गए खामोशी भेद सारा बोल पड़ी। जज्बात समेटते रह गए खामोशी भेद सारा बोल पड़ी।