Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Neeraj pal

Abstract

4  

Neeraj pal

Abstract

तेरे दर पर

तेरे दर पर

1 min
364


आया हूं तेरे दर पर, मत करना इनकार मुझे।

खरा हूँ, खोटा हूँ जो भी हूँ, तुम कर लेना स्वीकार मुझे। आया हूं.....


एक प्रेम भरी अरज है, जो तुम मेरी मंजूर करो।

बस ध्यान रहे तेरे रूप का, इतना मुझ पर उपकार करो।आया हूं.....


प्रियतम तुम ही हो मंजिल मेरी, ना कोई और सहारा है।

मैं तेरे ही दामन में आया हूं, तुमसे ना कोई प्यारा है।आया हूं......


संसार- सागर में जीवन रूपी नैया का, और ना कोई खिवैया है।

कहीं डूब ना जाए मझधार में, तुम्हारे सिवा ना कोई दिखैया है।आया हूं....


यह मन बड़ा ही चंचल है,इत- उत भागने की इसकी आदत है।

अगर तुम मेरे पास होतीं, यह मर्ज नहीं मेरी चाहत है। आया हूं.....


नित बैठकर यही सोचता हूं, क्या पा सकूंगा इस जीवन में।

दिलाशा दिल को देता हूं, पाकर खोने ना दूंगा जीवन में। आया हूं......


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract