तेरे हाथ में तेरी पहचान है...
तेरे हाथ में तेरी पहचान है...
चल उठ
बाहर निकल
रोती क्योँ सुबक रही...
ये पल है
यही है समाँ
वज़ूद बना..
तेरे हाथ में तेरी पहचान है...
तेरे हाथ में ही तेरी पहचान है
जंजीरें जो तुझको रोक रही...
वो तोड़ डाल
तू खोल डाल
जो लिपटी तेरी काया से
उससे तू जला डाल ,
यही वो पल हैं
यही है समाँ
वज़ूद बना..
तेरे हाथ में तेरी पहचान है...
तेरे हाथ में ही तेरी पहचान है
पवित्र तेरी आत्मा
तेरी काया भी है पवित्र...
रास्तों पर हक्क तेरा
ये इंसान लेगा क्यों परीक्षा तेरी ...
ना राम वो
ना सोनिया अब सीता तू..
चल उठ
बाहर निकल
रोती क्यों सुबक रही...
ये पल हैं
यही है समाँ
वज़ूद बना..
तेरे हाथ में तेरी पहचान है...
तेरे हाथ में ही तेरी पहचान है...
जला खुद को लिया... बस ..
जला कर राख करना है अभी
पापियों का ...
हैवानियत का...
सर्वनाश करना है अभी....
ये पल हैं
यही है समाँ
वज़ूद बना..
तेरे हाथ में तेरी पहचान है...
तेरे हाथ में ही तेरी पहचान है...
ओढ़नी अब
ध्वज सा गूंजे तेरी..
एसी शख्सियत मिले..
आवाज हो बुलंद तेरी..
धरती हिले जब जब
चुनर फीकी पड़े...
ये पल हैं
यही है समाँ
वज़ूद बना..
तेरे हाथ में तेरी पहचान है...
तेरे हाथ में ही तेरी पहचान है।