तिरंगा
तिरंगा
तिरंगा शान से लहराता
मेरे भारत की शान बढ़ाता
राष्ट्र धर्म से दूजा कोई धर्म नहीं है
सैनिक जब चलते हैं शान से
दुश्मन थर थर थर्राता
राष्ट्रप्रेम से दूजा कोई धर्म नहीं है
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
सैनिक कभी नहीं घबराता
तिरंगा शान से लहराता
कभी लाल बहादुर बनता
कभी भगत सिंह बन जाता
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
सैनिक कभी नहीं घबराता
तोड़ गुलामी की जंजीरें
देश स्वतंत्र कराता
तिरंगा शान से लहराता
मेरे भारत की शान बढ़ाता
चंद्रशेखर आज़ाद है बनता
कभी सुभाष बन जाता
तिरंगा शान से लहराता
मेरे भारत की शान बढ़ाता
नेहरू और गांधी बनकर यह
देश स्वतंत्र कराता
तिरंगा शान से लहराता
मेरे भारत की शान बढ़ाता
राम प्रसाद बिस्मिल बनकर यह
दुश्मन को लोहे चने चबवाता
लाल बाल पाल के शौर्य के सामने
दुश्मन थर थर थर्राता
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
सैनिक कभी नहीं घबराता
तिरंगा शान से लहराता
दुश्मन थर थर थर थर्राता।