टोटल लॉकडाउन
टोटल लॉकडाउन
वर्तमान झंझावतों
में रचना करना
प्रतिपल
जीने-मरने जैसा है।
एक तो नि:शक्तजन
दूजै लॉकडाउन
तीजै पारिवारिक पाल्य यत्न।
सभी झंझावतों का
एक ही प्रत्युत्तर
शबनम की जिंदगी
शोलों का शोर है
मौत को छुपा कर रखना
जिंदगी बड़ी कठोर है।
या यों कहें कि,
दर्द ही दवा है,
कंटकाकीर्ण सदन ही
शीश महल है।
कलम ही,
जिंदगी है
रचना ही,
धर्म है अपना
तब च्युत
क्यों धर्म से ?