तू सामना कर
तू सामना कर
जिंदगी की हक़ीकत का तू सामना कर,
डरा डर को, तू खुद से सामना कर,
तोड़ दे भ्रम की दीवारों को तू, रास्तों से सामना कर,
सहम जा तू, अपनी आवाज़ से उस ताकत का सामना कर।
तू सामना कर।
तू सामना कर।
लाश को तू हौसला बना, उस तक़दीर से तू सामना कर,
बिखर गई वो चैन, उसे जोड़ने का दीदार कर,
खाली पड़ी मंज़िल की दीवारों से, उस हिम्मत का सामना कर,
बंजर पड़ी उस रेत से, सच का सामना कर।
तू सामना कर।
तू सामना कर।
भटका हुआ उस राहगीर से, जज्बात का तू सामना कर,
पर्वत की चट्टान में गूँज रही आवाज़ से, उस भय का तू सामना कर,
दर्द भरी उस औरत की आवाज़ से तू, उस दरिंदगी का सामना कर,
छोड़ दे अपने मन की क्रूरता को, उस सपनों से तू सामना कर।
तू सामना कर।
तू सामना कर।
हौसले को मंज़िल बना तू, खुद से परिचय का तू सामना कर,
ताकत को बना तू,अपनी दास्तान से सामना कर,
रात को बना ले दिन तू, उस हकीक़त से तू सामना कर,
दर्द से गूँज रही उस पीड़ा से तू, खुद से सामना कर।
तू सामना कर।
तू सामना कर।