वाह री आशिकी
वाह री आशिकी
मौकापरस्त भी हुस्न वाले
जानते नजाकत वक्त की
देख मुसीबत में एक को
आशिक दूजा तलब किया!
इश्क भी नहीं निकला
धोखेबाजी में कुछ कम
चल पड़ा था उसी के पीछे
जिसने भी तलब किया!
जानते किस मुकाम तक
निभा फिर साथ है फिजूल
पहुंच कर वहां तक दोनों ने
एक अच्छा बहाना किया!
वाह री आशिकी तूने जाने
कितनों को बरबाद किया!
बरबादियों के सैलाब में
सिर्फ अंधकार है सामने
उजालों तक देकर साथ
रास्तों ने दम तोड़ दिया!
ठोकरें खाने वालों का
था एक दूजे पर इल्जाम
इश्क हुआ हुस्न के हाथों
या इश्क ने तबाह किया!
दास्तान लिखी दोनों की
आंसुओं की ही कलम से
पढ़ने वालों ने भी दोनों
ही को बदनाम है किया!
वाह री आशिकी तूने जाने
कितनों को बरबाद किया!
रखते हैं कदम चलने को
साथ न छोड़ेंगे कभी जैसे
पर जहां भी देखा दोराहा
नया एक आगाज किया!
वाह री आशिकी तूने जाने
कितनों को बरबाद किया!