विरह
विरह
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हे माधव, तू हमें छोड़कर चला है
लेकिन हम तुम्हारा इन्तजार करेंगे
हाँ ,हमारे नयन भीगे रहेंगे
तुम्हारी प्रतीक्षा में।
कब तक हम खामोश रहें,
अपनी विरह वेदना तुमको कैसे बताएँगे?
हमारे पास कुछ भी नहीं है।
हर बूँद हमारी वेदना की साक्षी है
तू ही हमारा सर्वस्व है।
हे माधव, तू जल्दी आकर
हमारे बृंदावन को स्वर्ग बना ले
तुम्हारे बिना ये सुंदर बृंदावन भी
हमारे नयनों को शोभा नहीं देता है।