वक्त
वक्त
यह वक्त ही तो है
जो सबक सिखा रहा
हमे हमारी औकात बता रहा
बड़ी डींगे मारते थे आसमान को छूने की
वक्त का पहिया उल्टा क्या चला जी
अपने ही घर में बंद हो रह गया आदमी।
अब न पैसा काम आ रहा
न कोई औकात दिख रही
छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब हर कोई
बंदगी की जिंदगी जी रहे सभी।
बंदगी भी अजीब, अपने ही घर में बंदी
बंधन तोड़ने से भी डरे हैं सभी
एक बात तो है
कोरोना कहर ने सबको डरा दिया
सारे विश्व के घुटने टिका गया।
मानो या ना मानो
पर कुछ तो कर्मों की सजा है
पर हैरानी तो यह है
सब एक ही तराजू में तुले हैं।
अब बस एक ही रास्ता है
कोरोना को हराना है
वह भी घर में रह कर
सोशल डिस्टेंसिंग अपनाकर।
सच मानो
कोरोना हार जाएगा
विपत्ति का बादल छट जाएगा
वक्त फिर बदल जाएगा।