वृक्ष ही जीवन है !
वृक्ष ही जीवन है !
मान या न मान
तुम दुनिया के शैतान !
जल्द ही तेरे काम होंगे तमाम
जो काटकर पेड़ों को बे-लगाम
पैरों पर अपनी कुल्हाड़ी मार रहा है तू..!
वृक्ष ही जीवन हैं तेरा, यह क्यों भूल गया इंसान
साँस तो चल रही है तेरी, बूढ़े हो या जवान !
जो कुछ भी हो तुम इस पेड़ की बदौलत हो
गर लगा सकते नहीं जीवन में एक पेड़
कोई अधिकार नहीं तुझको
तुम संहार करो इसका..!
प्रकृति तो तेरी सहचरी थी
मगर छेड़ कर तूने इसे
संहारनी बना डाला
सोचा न जरा जीवन को
ख़ुद से ही ख़ुद को मार डाला..!
बचा है अभी भी जो कुछ भी बचा ले
लाख़ उपलब्धियों से तेरे क्या ?
जीवन में एक पौध लगा ले..!
ज़िन्दगी सरस होगा तेरा बन्दे !
साथ पंडा के चल यह अलख ही जगा ले..!