कर्म को बली करो, भेद लो चक्रव्यूह उस जीत का फिर,क्या कहना होगा। कर्म को बली करो, भेद लो चक्रव्यूह उस जीत का फिर,क्या कहना होगा।
जीवन को आनंदमई बनाने का अमूर्त साधन है प्रेम फिर भी पूरी तरह से अबूझ पहेली है प् जीवन को आनंदमई बनाने का अमूर्त साधन है प्रेम फिर भी पूरी तरह से अबूझ...
तुम मेरे प्रेम की पर्याय बनो तुम मेरी आयु की रेखा बनो ! तुम मेरे प्रेम की पर्याय बनो तुम मेरी आयु की रेखा बनो !
सावा आज अबूझ है,नाम बडा है खास कहते है देवशयनी,खूब हुआ यो पास। सावा आज अबूझ है,नाम बडा है खास कहते है देवशयनी,खूब हुआ यो पास।
प्रेम सार्वभौमिक है सर्वव्यापी है इसका ना ही आदि है ना ही अंत है प्रेम सार्वभौमिक है सर्वव्यापी है इसका ना ही आदि है ना ही अंत है
प्यार पंछी को उड़ान से रोक ले भ्रम नहीं करते, प्यार पंछी को उड़ान से रोक ले भ्रम नहीं करते,