फिर एक अकंप निर्धुम ज्योतिकी तरह जल शको तो चलो ! फिर एक अकंप निर्धुम ज्योतिकी तरह जल शको तो चलो !
ये बात मन में गढ़ लिया तो सब कुछ सम्भव है। ये बात मन में गढ़ लिया तो सब कुछ सम्भव है।
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इस पर भी इंसान को इतना ग़रूर है। इस पर भी इंसान को इतना ग़रूर है।
स्त्री व पुरूष पूरक हैं इक दूजे के अधूरे इक दूजे बिन। स्त्री व पुरूष पूरक हैं इक दूजे के अधूरे इक दूजे बिन।
डूबता सूरज कहे बस, यही बारम्बार..। डूबता सूरज कहे बस, यही बारम्बार..।