तो जाति, धर्म कहाँ से आया ? वैसे ही आँसू का कोई धर्म नहीं। तो जाति, धर्म कहाँ से आया ? वैसे ही आँसू का कोई धर्म नहीं।
माँ साल में एक बार मातृ दिवस भी मना लिया करता हूं। माँ साल में एक बार मातृ दिवस भी मना लिया करता हूं।
बंद थे दरवाजे दिलों पर ताले थे। बंद थे दरवाजे दिलों पर ताले थे।
देखती रहती हूँ मैं मेरे ख्वाबों को टूटते हुए और बहते हुए। देखती रहती हूँ मैं मेरे ख्वाबों को टूटते हुए और बहते हुए।
अब आँखों को उन्हें खोने का ग़म नहीं क्या पता आँसू की जगह इनमें खून होती। अब आँखों को उन्हें खोने का ग़म नहीं क्या पता आँसू की जगह इनमें खून होती।
वो यादें अब भी दिमाग़ को सुकून दे जाती हैं, बचपन, तेरी बहुत याद आती है ! वो यादें अब भी दिमाग़ को सुकून दे जाती हैं, बचपन, तेरी बहुत याद आती है !