फिर से जियेंगे उस मौत को, जिसे लोग ज़िंदगी कहते हैं ! फिर से जियेंगे उस मौत को, जिसे लोग ज़िंदगी कहते हैं !
जकड़ी हुई है बेड़ियों मे परतंत्रता ने छीन लिया है इसके रूप को जकड़ी हुई है बेड़ियों मे परतंत्रता ने छीन लिया है इसके रूप को
नारी जिसे खुले आसमान में उड़ना है नारी जिसे खुले आसमान में उड़ना है
खाई थी साथ जिसने जीने-मरने की लाखों कसमें, सागर का ख़्वाब देकर सहरा में छोड़ दिया है। खाई थी साथ जिसने जीने-मरने की लाखों कसमें, सागर का ख़्वाब देकर सहरा में छोड़ दिया...
क़िस्मत में जो लिखा है वो करती जा रही है क़िस्मत में जो लिखा है वो करती जा रही है
थोड़ी सी शैतानी मेरी मुझ को वापस कर दो ना बचपन में क्यों बड़ा बनाया फिर से बच्चा कर दो थोड़ी सी शैतानी मेरी मुझ को वापस कर दो ना बचपन में क्यों बड़ा बनाया फिर स...