न उजाले का संकट न दिखने का बहाना न बिछड़ने का संत्रास। न उजाले का संकट न दिखने का बहाना न बिछड़ने का संत्रास।
बुलंदियों को छूकर आसमाँ की उड़ा भर पाते हैं। बुलंदियों को छूकर आसमाँ की उड़ा भर पाते हैं।
क्योंकि उसको ही रखनी पड़ेगी नींव इक नए भारत के निर्माण की क्योंकि उसको ही रखनी पड़ेगी नींव इक नए भारत के निर्माण की
जब जब तुम कुप्रथाओं का स्वागत करोगे, मैं उन्हें प्रणाम कर विदा करुँगी जब जब तुम कुप्रथाओं का स्वागत करोगे, मैं उन्हें प्रणाम कर विदा करुँगी
उसने बहुत से घरों का निर्माण किया है उसने बहुत से घरों का निर्माण किया है