लिखा बहुत कुछ हमने, कितनी अनकही सी बातें, लिखा बहुत कुछ हमने, कितनी अनकही सी बातें,
बेशक रहें दोनों के मकसद जुदा कटता है सफ़र इक-दूजे के सहारे बेशक रहें दोनों के मकसद जुदा कटता है सफ़र इक-दूजे के सहारे
बस यूं ही जिए जा रही है बिन मकसद यह समाज रुपी कठपुतली। बस यूं ही जिए जा रही है बिन मकसद यह समाज रुपी कठपुतली।
कुछ तेज़ कम्पन के पश्चात मेरे पर परवाज़ को तैयार हैं और देखते ही देखते मेरी नज़रों के सामने सब सतह... कुछ तेज़ कम्पन के पश्चात मेरे पर परवाज़ को तैयार हैं और देखते ही देखते मेरी न...
प्रिय गौरक्षक, बचा ले निर्दोष पशुओं को आज हम, पर मत रखना बैर किसी से तुम, मिले जब गाड़ी की ख़... प्रिय गौरक्षक, बचा ले निर्दोष पशुओं को आज हम, पर मत रखना बैर किसी से तुम, ...
वह अपने सब सपने भूल, और अपनी उम्मीदों को तोड़ अपनी जिंदगी के मकसद को ही भूल जाए। वह अपने सब सपने भूल, और अपनी उम्मीदों को तोड़ अपनी जिंदगी के मकसद को ही भूल ज...