एहसास लपेट के स्याही में, खत में उन्हें समेट लिया उसे सामने आता देख, पीठ के पीछे भींच एहसास लपेट के स्याही में, खत में उन्हें समेट लिया उसे सामने आता देख, पीठ के प...
उन्हीं पलों को सहेजते, समेटते जाने कैसे वर्तमान आ गया उन्हीं पलों को सहेजते, समेटते जाने कैसे वर्तमान आ गया
खिल जाने दो फूलों की तरह कुछ अपने महक महकने दो बच्चे हैं बच्चे रहने दो। खिल जाने दो फूलों की तरह कुछ अपने महक महकने दो बच्चे हैं बच्चे रहने दो।
न तोड़ी जाऊँ अपनी डाली से कभी, न मसली जाऊँ, न कुचली जाऊँ, न तोड़ी जाऊँ अपनी डाली से कभी, न मसली जाऊँ, न कुचली जाऊँ,
मुझे मिर्जा ग़ालिब बनने दीजिये शायरी नया लिखने दीजिये मुझे मिर्जा ग़ालिब बनने दीजिये शायरी नया लिखने दीजिये
मन मचलने लगा, बेताब मन, पंख लगा, गगन में उड़ने लगा, मन मचलने लगा, बेताब मन, पंख लगा, गगन में उड़ने लगा,