अनभिज्ञ था तब कि ऐसा युग भी आएगा... अनभिज्ञ था तब कि ऐसा युग भी आएगा...
जो गड्ढे तुमनें खोदे हैं अपनी अमानत रखने को, जो गड्ढे तुमनें खोदे हैं अपनी अमानत रखने को,
मैं चला था लोगों को ठगने पर यहां लगा है भावों का बाजार अब पुनः वापस आकर बैठ गया अब खुद क... मैं चला था लोगों को ठगने पर यहां लगा है भावों का बाजार अब पुनः वापस आकर ...
लकीरें शब्दों की लकीरें शब्दों की
हर कोई इल्ज़ाम दे रहा है बस एक दूसरे को दूसरा तीसरे को जो जैसा मुखौटा पहने झूमता है वो वैसा ... हर कोई इल्ज़ाम दे रहा है बस एक दूसरे को दूसरा तीसरे को जो जैसा मुखौटा पहने ...
हां..हम भी क्या रहे अछूते, उलझ मुखौटों बीच। दाग लगा अपने तन भी जब, डाला कंकड़ कीच। हां..हम भी क्या रहे अछूते, उलझ मुखौटों बीच। दाग लगा अपने तन भी जब, डाला कंकड़...