लोकतंत्र की मर्यादा पर करते कैसी चोट रामजी किसको डालूं वोट... लोकतंत्र की मर्यादा पर करते कैसी चोट रामजी किसको डालूं वोट...
स्वतंत्रता से जीने का हक छीन लिया हमारा। स्वतंत्रता से जीने का हक छीन लिया हमारा।
संविधान का जर्जर तन मैं, अंधों को दिखलाता हूँ। बहरों की बस्ती में पीड़ा, लोकतंत्र की गाता हूँ।... संविधान का जर्जर तन मैं, अंधों को दिखलाता हूँ। बहरों की बस्ती में पीड़ा, लोकतंत्र...
हक़ नही, कर्म समझो इसे अपना, मतदान में तुम नहीं चूकना हक़ नही, कर्म समझो इसे अपना, मतदान में तुम नहीं चूकना
चुनना तुम्हारा कर्म -धर्म है तुम प्रजातंत्र के रक्षक हो। चुनना तुम्हारा कर्म -धर्म है तुम प्रजातंत्र के रक्षक हो।
शासक हो पथभृष्ट अगर तो करो वोट की चोट, वोट की शक्ति को पहचानो, दो डंके की चोट। शासक हो पथभृष्ट अगर तो करो वोट की चोट, वोट की शक्ति को पहचानो, दो डंक...