क्या हुआ, जो आज सुबह थोड़ी देर तक सो लिए, क्या हुआ, जो आज, सुबह की सैर पर नहीं गए। क्या हुआ, जो आज सुबह थोड़ी देर तक सो लिए, क्या हुआ, जो आज, सुबह की सैर पर नहीं ...
मन तृप्ति पा जाता है नव जीवन की श्रृंगारों में श्रृंगारी मुक्ती पाता है जड़ चेतन के आधारों में मन तृप्ति पा जाता है नव जीवन की श्रृंगारों में श्रृंगारी मुक्ती पाता है जड़ चेत...
जानता हूँ यद्यपि यह बात आज बीती फिर भी है आशा। जानता हूँ यद्यपि यह बात आज बीती फिर भी है आशा।
जोड़ देती हूँ जिस पल दो किनारों के तट लोगों के लिए फिर तटिनी बन जाती हूँ मैं जोड़ देती हूँ जिस पल दो किनारों के तट लोगों के लिए फिर तटिनी बन जाती हूँ मैं
पापा मेरे बरगद जैसे पापा मेरे बरगद जैसे
"सीता कब तक देगी अग्निपरीक्षा ?" ये प्रश्न समाज से कर रही। "सीता कब तक देगी अग्निपरीक्षा ?" ये प्रश्न समाज से कर रही।