“
फ़लक से टूटा कोई तारा मेरे आँचल की गरमी बन गया
स्पर्श तेरा दिल को मेरे फिर कुछ यू बेपरवाह कर गया
सजाना था हर लम्हे को जिसकी धड़कनो की गुंज से मैंने
वो तो चार दिन में प्यार अपना समेटें कुछ इस क़दर तनहा कर गया
की ग़म के आँसुओ में मेरे झलक जाती है तेरी मुस्कुराहटे
मेरा सारा ज़ाहान लेले तू खुदा बस एक पल की साँसे और दे जा उसे
”