Sanjay Arjoo

Abstract Children Stories Inspirational

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Sanjay Arjoo

Abstract Children Stories Inspirational

असली भाषा

असली भाषा

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सुबह सुबह सैर के लिए निकला "वासु" अपनी गली से थोड़ी दूर निकल ही था कि गली के किनारे पर स्थित मंदिर के पुजारी ने उसकी तरफ देखते हुए पूछा, "आपने रास्ते में दो छोटे बिल्ली के बच्चे देखे क्या?"

आश्चर्य से वासु ने इधर-उधर देखा और पंडित जी से बोला " नहीं , मुझे तो नहीं दिखाई दिए! "

"क्यों क्या हुआ?" वासु ने जिज्ञासा बस पूछा.

घबराए दिख रहे पंडित जी ने उदास होते हुए कहा " दो दिन पहले जन्मे बिल्ली के दो छोटे बच्चे कल तक तो यही दिख रहे थे, मगर आज सुबह अचानक गायब हो गए!"

चिंता से भरे वासु को अचानक ही एक ख्याल आया वह चिंता जताते हुए बोला "हो सकता है किसी आवारा कुत्ते ने शिकार कर दिया हो!"

ऐसे किसी संभावना को नकारते हुए पंडित जी ने कहा "नहीं ऐसा नहीं हो सकता वो यहीं आसपास ही कहीं होंगे" यह कहते हुए पंडित जी "चीकू- मीकु" नाम से उन्हें पुकारते हुए उन्हें तलाशने लंबे कदमों से आगे बढ़ गए"

वासु को बहुत आश्चर्य हुआ वो मन ही मन सोचने लगा "अरे पंडित जी ने एक ही दिन में बिल्ली के बच्चों के नाम भी रख लिए और उनका नाम भी  इस तरह पुकार रहे थे मानो दोनों बिल्ली के बच्चे अपना नाम सुनकर उनके पास खुद ब खुद ही आ जाएंगे!" आखिर भाषा समझने और संबोधन को पहचानने में समय भी तो लगता है। इतने कम समय में बिल्ली तो क्या? इंसान का बच्चा भी अपना नाम न समझे!

तभी वासु ने देखा पंडित जी अपने दोनों हाथों में उन दोनों बच्चों को लेकर मंदिर की तरफ वापस लौट रहे थे।

वासु मुस्कुरा दिया, शायद उसे अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया था" करुणा और प्रेम की भाषा, ही सार्वभौमिक एवम् "असली भाषा" है ये शब्दों या लिपियों की मोहताज नहीं ये तो दिल से सुनी और महसूस की जाती है।"



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