और...ढाई तकिये की दीवार ढह गई
और...ढाई तकिये की दीवार ढह गई
" इसको तो पूरे बिस्तर पर सोना होता है , मैं खुद क्यूँ छोटी सी जगह में सोऊँ और तकलीफ सहूँ। हुँह... बड़ा आया राजा कहीं का...!"
आज फिर तूलिका ने बिस्तर के बीचों बिच अपना तकिया और सोफे का कुशन लगाकर डिवाइडर बना दिया और कुड़कुड़ाते हुए सोने का उपक्रम करने लगी।
उसे बगैर तकिया के सोने में बहुत तकलीफ हो रही थी, इसलिए उसने अपनी कुहनी को सिर के नीचे रख लिया और अविनाश को आता हुआ देखकर जबरदस्ती आँखें मिंच ली।
अविनाश ने एक नज़र तूलिका पर डाली, उसे नाराज़गी में भी तूलिका की मासूमियत देखकर हँसी आ गई।
उसने बिना कुछ कहे अपना तकिया लिया और ड्राइंग रूम में सोने जाने ही लगा था कि...
तूलिका ने अपनी गोल गोल आँखें खोलकर उसे देखा और मुँह फुलाकर यथासंभव गुस्सा दिखाते हुए बोली ,
" कोई कोई चाहे तो इसी बिस्तर पर सो सकता है। हाँ अगर ड्राइंग रूम में फूल प्राइवेशी में अपनी सो कोल्ड जस्ट फ्रेंड्स से बात करना हो तो... और बात है !"
पिछले तीन दिनों से इसी बात का तो झगड़ा था... दोनों के बीच कि...एक रात को अविनाश चुपके से उठकर ड्राइंग रूम चला गया था और अपनी कॉलेज़ के जमाने की दोस्त मीरा से बात कर रहा था तो तूलिका ने उसे पकड़ लिया था।
और... अविनाश के हाथ से उसका फ़ोन छीनकर देखने लगी।
देखा तो... शाम से मीरा के कई कॉल आ चुके थे।
पूछने पर अविनाश ने कहा....
" अरे... तुम इतना पैनिक क्यों होती हो ? शी इज़ माय फ्रेंड वह तो उसने आज सोशल मीडिया पर मुझे मेरा प्रोफाइल देखा तो वह ज्यादा खुश होकर मुझसे बात करने लगी कॉलेज के बाद हम पहली बार आज ही बात कर रहे हैं तुम्हें इतनी परेशान होने की जरूरत नहीं है, और तुम क्या मेरी लॉयल्टी पर शक कर रही हो...? "
उसे दिन तो उसने बड़े प्यार से तूलिका को मना लिया और तूलिका ने भी इस बात को जाने दिया लेकिन अगले दिन फिर जब उसने देखा कि अविनाश ड्राइंग रूम में जाकर के मीरा से बात कर रहा है तब उसका गुस्सा कंट्रोल से बाहर हो गया।
और उसने गुस्से से अविनाश के हाथ से फोन छीन लिया और उधर मीरा को कह दिया कि....
"तुम्हें शर्म नहीं आती....?इतनी रात में किसी और के पति से बात कर रही हो?"
और फिर फोन पटक कर सोने चली गई।
अविनाश ने अपनी सफाई में कुछ कहना चाहा था लेकिन तूलिका ने सुना ही नहीं।
और तीन दिनों से दोनों में बातचीत बंद थी।सिर्फ ईशारों से बात होती वह भी बड़ी मुश्किल से।
बाद में तूलिका को भी लगने लगा के शायद उसने ओवर रिएक्ट कर दिया है क्या पता दोनों दोस्ती वाली बात कर रहे हो लेकिन अगर झुकने को तैयार नहीं थी ऊपर से आज जब अविनाश अगले ड्राइंग में जाकर सोने लगा तो उसे लगा कि.... अब तो हो गया।अब तो दोस्ती के सारे असर भी खत्म। पता नहीं यह लड़ाई कितना लंबा चलेगा।
इसलिए उसने अविनाश से ऐसा कहा लेकिन अविनाश ने उसकी बात सुनकर भी नहीं सुना और ड्राइंग में चला गया तब तूलिका सुबह-सुबह कर रोने लगी और उसे बहुत बुरा लगने लगा.
एक तो जाड़े की सर दर्द ऊपर से उसे अकेले सोना पड़ रहा था और साथ में उसके अंदर कहीं ना कहीं यह बात थी कि 1 साल की साड़ी सूरत जिंदगी में उसने अविनाश को कभी भी ऐसा कुछ नहीं देखा था ना उसके देखभाल में कमी आई थी नहीं उसके प्यार में कमी आई थी फिर सिर्फ एक दिन अपनी कॉलेज की दोस्त से उसने बात ही कर लिया तो ऐसा क्या तूफान आ गया और जहां तक तूलिका का सवाल था.वह भी तो अपने दोस्तों से बात करती थी फिर आज तीन दिनों से उसने ऐसा क्या तूफान खड़ा कर रखा था।
पर उसके अंदर एक स्त्री सुलभ मान था कि...
मैं क्यों सॉरी बोलूं....? उसने गलती की है तो उसे सॉरी बोलना चाहिए...!
तूलिका ने समझ लिया कि अब झगड़े के बाद दोस्ती इतनी जल्दी नहीं होगी क्योंकि अविनाश ने उसे चुप भी नहीं कराया और अभी ड्राइंग में जाकर सो गया था थोड़ी देर में तूलिका को महसूस हुआ कि किसी ने उसके सिर पर हाथ फेर है और उसके बालों पर डाला गया आंसुओं को अपने कोमल हाथों से साफ कर रहा है।
टू बीकानेर आंख खोल कर देखा तो सामने आ विनाश था और उसने कहा कि....
" मैं तुमसे दूर कैसे सो सकता हूं...?और ड्राइंग में ठंड में ऐसे अकेले सोना अच्छा थोड़ी लगता है....? "
तूलिका ने कहा..।
" तब मुझे छोड़ कर गए ही क्यों थे....? "
अरे मैं छोड़कर कहां गया था वह तो मैं चुप-चुप कर मीरा से बात करने गया था जब हंसकर अविनाश ने कहा तो तू लिखा ने नकली गुस्सा दिखाते हुए उसे मारने का उपक्रम किया। फिर दोनों हंसने लगे।
और दोनों की हंसी और चुहल में पता ही नहीं चला कि...
कब बीच में रखे हुए तकिए और कुशन सिरहाने आ गए और उन दोनों के बीच की दीवार ढह गई।
जब प्यार सच्चा होता है और इंसान के मन में कोई चोर नहीं होता है तो रिश्ते में थोड़ी गलतफहमी तो हो सकती है लेकिन गलतफहमी दूर होने के बाद रिश्ते का आकाश पहले से भी ज्यादा चमकीला हो जाता है और रिश्तों में और भी नजदीकी बढ़ जाती है।