बचपन का सवर्णिम काल
बचपन का सवर्णिम काल
एक गांव में एक परिवार रहता था उनके दो बच्चे रिंकू व पिंकी थे। दोनों बचपन में बड़ी शैतानी करते थे व अपनी माता स्वर्णिमा को बहुत तंग करते थे। रिंकू का एक दोस्त टिंकू था जो पड़ोस में रहता था। दोनों बचपन के हम उम्र दोस्त थे, दोनों को साथ साथ रहना पसंद था, अतः दोनों का अधिकांश समय साथ साथ ही बीतता था। दोनों लड़ते भी थे लेकिन एक दूसरे के बिना नहीं रह पाते थे, दोनों बड़े होने लगे दोनों का प्रवेश एक ही स्कूल में तथा एक ही कक्षा में हो गया। दोनों साथ ही स्कूल जाते साथ ही घर आते फिर साथ ही खेलने जाते। दोनों पढ़ाई में भी होशियार थे हमेशा अच्छे अंकों से पास होते थे, दोनों की दोस्ती अटूट थी खेलने में भी दोनों बहुत अच्छे थे तथा दोनों खेल में भी नाम कमाने लगे। दोनों के परिवार भी इस बात से खुश थे तथा दोनों परिवार उन्हें पूरा सहयोग देते थे। जब वह बड़े हो गए तो कॉलेज पढ़ने भी शहर में एक साथ ही गए तथा एक ही कॉलेज के प्रवेश लिया साथ साथ पढ़ाई की तथा दोनों ने साथ ही परीक्षा दी तथा दोनों की नौकरी लग गई। दोनों को अलग अलग शहरों में जाना पड़ा, दोनों ने इतना लंबा समय एक साथ बिताया अब अलग होना असम्भव लग रहा था लेकिन नौकरी के लिए तो जाना ही था। दोनों कई दिन रात अलग होने के डर से रोते रहे दोनों को लगा कि अलग होना कितना कष्टकर है। दोनों भारी मन से अपनी अपनी नौकरी पर चले गए दोनों के शहर पास पास ही थे अतः दोनों बीच बीच में मिल लेते थे, फ़ोन पर बात कर लेते थे इतनी गहरी दोस्ती की सब मिसाल देते थे। उन दोनों की एक ही लड़की से दोस्ती थी लेकिन दोनों को इस बात का पता नहीं था दोनों उससे प्यार करते थे, दोनों उससे शादी करना चाहते थे लेकिन दोनों यह नहीं जानते थे कि दूसरा भी उससे प्यार करता है तथा शादी करना चाहता है। रिंकू ने उस लड़की से शादी का प्रस्ताव किया लड़की ने हामी भर ली दोनों के परिवार भी इसके लिए तैयार हो गए टिंकू को जब पता चला कि रिंकू उसी लड़की से शादी कर रहा है जिसे वह चाहता था तो उसे लगा की रिंकू ने उससे धोका दिया उसे एक झटका लगा उसने रिंकू से बात नहीं की तथा शादी के भी नहीं गया। रिंकू को भी खराब लगा लेकिन उसने सोचा कि उसे कोई खास काम होगा इसलिए नहीं आ पाया लेकिन टिंकू के मन में उसके प्रति बदले की भावना आ गई वह बदला लेने की सोचने लगा। एक दिन वह दोस्त के पास गया दोस्त ने उसकी आवभगत की गीले शिकवे व शिकायत की वह सोच ही रहा ही था लेकिन टिंकू के मन में तो बदले की बात थी उसने मौका देखा और दोस्त की हत्या कर दी, वह पकड़ा गया जेल गया नौकरी छूट गई दोनों परिवार बर्बाद हो गए एक गलतफहमी ने सब कुछ बर्बाद करके रख दिया कहा दोनों की इतनी गहरी दोस्ती और कैसे यह इतनी बड़ी नफरत में बदल गई कि दोनों परिवार बर्बाद हो गए यदि यह गलतफहमी समय पर दूर हो जाती तो दोनों परिवार बर्बाद होने से बच जाते। इसलिए तो कहते है बचपन ही कितना अच्छा होता है न कोई गीले शिकवे न कोई विवाद केवल प्यार ही प्यार। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि गलतफहमी का निराकरण यदि समय से न किया जाय तो वह एक बड़ी घटना का कारण बन सकती है जैसा इस कहानी में हुआ।