बेटियाँ किसी से कम नहीँ
बेटियाँ किसी से कम नहीँ
रीता बाजार से आई।देखा तो उसके होश उड़ गये।उसकी माँ बुखार से तप रही थीं।माँ से खड़ा नहीं हुआ जा रहा था।माँ को अस्पताल ले जाने के लिये कितने लोगों को रीता बुला रही थी।
कोई नहीं आ रहा था।घर पर गाड़ी थी पर रीता को चलाना नहीं आता था ।बड़ी मशक्कत के बाद एक ऑटोवाला आया,रीता माँ को दिखा लाई अस्पताल से!
पर कहीं न कहीं सारे वाकये के बाद उसके मन में गाड़ी को चलाना सीखने का दृढ़ निश्चिय चल रहा था। वो माँ की देखभाल के साथ गाड़ी चलाने का अभ्यास करने लगी ।15 दिनों में गाड़ी सीख कर अपनी माँ को गाड़ी में घुमाने लगी और माँ से कहने लगी “माँ अब आपको लगने लगा है ना कि बेटियाँ भी बेटो से कम नहीं हैं अब कभी आपको परेशान होने की जरूरत नहीं हैं।हम भी आपका ख्याल रख सकते हैं और आपको दुनिया की हर खुशी दे सकते हैं ,आपको बेटों की जरूरत नही हैं।"