भाग्य और मेहनत
भाग्य और मेहनत
मेरा भाग्य बहुत अच्छा है। जहां हाथ रखो पैसा ही पैसा है। कहते हुए राजेश जोर जोर से हंसने लगा। भाग्य भी तभी अच्छा होता है जब हम मेहनत करते हैं और पूरी लगन के साथ काम करते हैं। अच्छे कर्म न करने पर हमारा भाग्य भी हमसे रूठ जाता है। राजेश को समझाते हुए उसके दोस्त अभिषेक ने कहा। राजेश और अभिषेक बहुत ही अच्छे दोस्त थे। जहां राजेश को अपने भाग्य पर बहुत घमंड था, वहीं अभिषेक अपनी को अपनी मेहनत पर पूरा विश्वास था। एक दिन राजेश अपने मित्र अभिषेक के साथ अपने गुरु जी के पास जाता है और कहता है कि हम अपने भाग्य को आजमाना चाहते हैं। आप कोई उपाय बताएं। गुरुजी राजेश और अभिषेक को दो बंद घड़े देते हैं और कहते हैं इसमें तुम्हारा भाग्य बंद है। एक-एक खड़ा घड़ा ले लो। राजेश और अभिषेक एक एक घड़ा ले लेते हैं। राजेश अपना घड़ा खोल कर देखता है तो उसमें सिर्फ एक सोने का सिक्का होता है। जबकि अभिषेक का घड़ा सोने के सिक्कों से भरा होता है। अपने घड़े में सिर्फ एक सोने का सिक्का देखकर राजेश जल्दी से घड़े बदल देता है। सोने के सिक्कों से भरा घड़ा लेकर राजेश बहुत ही आलसी हो जाता है और अपनी नौकरी भी छोड़ देता है। अभिषेक राजेश को बहुत समझाता है कि हमें कभी भी अपनी मेहनत से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए। अभिषेक के बार-बार समझाने पर राजेश गुस्सा हो जाता है और अभिषेक से दोस्ती तोड़ देता है। कुछ सालों बाद अभिषेक मंदिर में गरीब और भूखे लोगों के लिए भंडारा कर कराता है। उस भंडारे में राजेश को खाना खाते हुए देखकर अभिषेक को बहुत दुख होता है। अभिषेक भंडारे के बाद राजेश को अपने घर ले जाता है। अभिषेक का आलीशान बंगला, गाड़ी और नौकरों को देखकर राजेश आश्चर्य से पूछता है कि यह सब कैसे हुआ ? अभिषेक बताता है कि मेरे पास जो घड़ा था, वह कोई मामूली घड़ा नहीं था। वह जादुई घड़ा था। मैंने उस घड़े के सिक्के को जरूरत पड़ने पर निकाला था। फिर उसमें दो सिक्के आ गए और इसी तरह मैं जितने सिक्के उस घड़े में से निकालता उसके दुगने सिक्के घड़े में आ जाते। जिससे मैंने अपना बहुत बड़ा बिजनेस कर लिया। अनाथालय और स्कूल भी खुलवाए और गरीबों के लिए भंडारा भी कराता हूं। अब तुम अपने बारे में बताओ। तुम्हारा यह हाल कैसे हुआ? फिर राजेश कहता है कि मैं सोने के सिक्कों से भरा घड़ा लेकर बहुत खुश था मुझे लगा कि मैं अब अपनी सारी जिंदगी आराम से काट सकता हूं। मैंने नौकरी भी छोड़ दी थी और धीरे-धीरे सिक्के खत्म होने लगे। अब मुझे खाने के लिए भी इधर-उधर घूमना पड़ता है। लेकिन मैं तुमसे एक बात बताना चाहता हूं, मैंने लालच में आकर हम दोनों के घड़े आपस में बदल दिए थे। इस पर अभिषेक हंसते हुए कहता है कि मुझे पता है। लेकिन मुझे अपनी मेहनत पर पूरा विश्वास था इसीलिए मैंने तुमसे कुछ नहीं कहा। यह सब तुम्हारा ही है। अब हम दोनों मिलकर मेहनत से अपने कारोबार को आगे बढ़ाएंगे, और हां मैंने अपना घड़ा गुरु जी को वापस कर दिया है। क्योंकि भाग्य भी तभी साथ देता है जब हम मेहनत करते हैं। अब राजेश भी अभिषेक की बातों से सहमत था।।