Vinay Panda

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भारतीय वेशभूषा

भारतीय वेशभूषा

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प्राचीन कालीन परम्परा के अंतर्गत भारतीय परिधान मूलरूप से धोती-कुर्ता और साड़ी था!


फ़ैशन और पाश्चात्य देशों के नकल ने आज भारतीय वेशभूषा में भी एक नया भूचाल ला दिया है।


मगर आज भी अधिकांश लोगों का पहनावा भारतीय परिधान ही है।

ढील - ढाल वस्त्र धारण करने से शरीर को सुख तो मिलता ही है, ऊपर से उनके सौंदर्य में चार चाँद लग जाता है।


मेडिकल साइंस आज भी मानता है कि ढीले कपड़े पहननें से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर उसका अच्छा प्रभाव पड़ता है।


हमारे भारत की संस्कृति और रहन-सहन की तुलना किसी और देश अथवा राष्ट्र से नहीं की जा सकती है।


अपने आप में जो बेजोड़ है। तन पूरी तरह से ढका रहे इन सबका भी ध्यान रखा थे हमारे प्राचीन कालीन पूर्वजों ने।


धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में रहन-सहन और खान-पान व्यवहार में हमारे देश की तुलना किसी और देश से नहीं की जा सकती है।


फ़ैशन की दुनिया में आज सम्पूर्ण विश्व जल रहा है। जो अराजकता का एक बहुत बड़ा कारण है।


अपना देश भी इस 21वीं सदी में पाश्चात्य देशों की नकल से बचा नहीं है मगर संख्या इनकी अभी बहुत कम है।


मन की अस्मिता और दिल की पहचान अभी कायम है यहाँ के मानव मस्तिष्क में। अपनी वेश-भूषा के चलते मेरा भारत आज भी पूरे संसार में गिना जाता है।


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