GOPAL RAM DANSENA

Abstract Inspirational

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GOPAL RAM DANSENA

Abstract Inspirational

भूत भविष्य

भूत भविष्य

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एक बार की बात है किसी शहर में एक साधु महात्मा जा पहुंचे। उनका उस नगर में आगमन पहली बार हुआ था। उन्हें वहां कोई न पहचानता था। साधु महात्मा अक्सर अनजाने जगह में नहीं रुका करते वे वहीं रात्री विश्राम करते हैं जहां कोई उनका भक्त होते हैं जिससे उन्हें भिक्षाटन एवं विश्राम के लिए बाहर बरामदा मिल सके।

अनजान शहर बड़े बड़े भवन कोई बरामदा नहीं साधु रुके तो कहां रुके, इसी सोच में वे आगे बढ़े जा रहे थे।

तभी उन्हें एक मंदिर दिखाई दिया जिसपर लोगों का भीड़ लगी हुई थी.। वे वहां रात्री विश्राम हेतु अंदर जगह देखने के लिए जा पहुंचे। वहां एक चौपाल बना हुआ था वे उसमें अपना झोला रख कर बैठ गए ,और देखने लगे कि आखिर इतनी भीड़ क्यों लगी हुई है। उन्होंने देखा कि वहां एक व्यक्ति बैठा हुआ था और लोग जाकर उनके

पैरों पर साष्टांग प्रणाम कर अपना दुख दूर करने का आग्रह कर रहे थे, जिन्हें वह व्यक्ति उनके दुख का कारण qएवं उसको दूर करने का उपाय बता रहा था।

वह व्यक्ति किसी किसी को तो उनको बिगाड़ने वाले का नाम भी बता रहा था, कहता आपको टोनही बाधा है ।

उत्तर दिशा मे उसका घर है और उसका नाम म अक्षर से शुरु होता है। लोग खुश हो दान पेटी में रुपये डालते और

वह व्यक्ति उन्हें आशीर्वाद देते अगली मंगलवार फिर आने को कहता ताकि उनका मंत्र से दुख निवारण कर सके।

साधु देखते रहे उन्हें ये समझ नहीं आ रहा था कि वे वर्षों तक साधना, करने और ईश्वर का नाम लेने के बाद भी इस तरह की कोई सिद्धि प्राप्त नहीं हुई थी। न ही उनके गुरुदेव ने उन्हें कोई मंत्र दिया जिससे दूसरे के जीवन को आगे या पीछे देखा जा सके।

रात बढ़ते ही लोग वहां से चले गए। वह व्यक्ति और कुछ और जो उनके भक्त लगते थे शेष रह गए। वे अपना समान समेट कर वहां से किसी धर्मशाला में रहने चल दिये।

साधु किसी तरह रात काट सुबह अपने रास्ते पर आगे बढ़ गए। उन्हें जल्दी थी अपने मन के सवालों के जवाब जानने की. वे अपने गुरु के पास पहुंच गए..i

उन्होंने अपने गुरु के चरणों में प्रणाम कर उनके पास बैठ गये। बैराग में कई साल बिताने के बाद उनका मन असंतोष नजर आ रहा था। गुरु ने उनका कुशल क्षेम पूछ आने का कारण पूछा।

साधु ने अपने मन में उठ रहे सारे सवाल को गुरु के सामने रख दिया और बताया कि किस तरह एक व्यक्ति दुखियों का भूत और भविष्य बता कर उनके दुख को दूर कर रहा है। साधु ने गुरु से पूछा---" गुरु आपने मुझे कभी भी इस विद्या के बारे ना बताया ना ही सिखाया। आप तो सर्व विद्या में निपुण हैं फिर आपने मुझसे ये विद्या क्यों छुपाया।"

गुरु अपने साधु शिष्य की बातेँ ध्यान से सुन रहे थे। उन्होंने अपने शिष्य को समझाया कि दुनियां में आज कोई ऐसी विद्या नहीं जो दूसरों के भूत, भविष्य को जान सके और ना ही कोई जादू टोना है.I ये तो सिर्फ एक भ्रम है जो हम निराश होकर ढोंगी बाबाओं के जाल में फंस जाते हैं। और वे इस काम के लिए पैसे, आबरू सब लूट लेते हैं।

उन्होंने अपने शिष्य को आगे कहा--- बेटा तू तो इतने सालों से साधु बन कर घूम रहा है क्या तुम्हें ईश्वर दिखाई दिया फिर भी तुम लोगों को बताते हो कि ईश्वर सब जगह हैं। हम तो ज़न कल्याण के लिए सद्भावना, प्रेम का सीख देते ईश्वर का गुणगान करते हैं। जिससे लोग सुखी जीवन जी सकें। समाज इसी काम के लिए हमे आदर करती है। इस काम के बदले हम धन लें तो एक दिन साधु पंथ खत्म हो जाएगा। तुम्हें शंका नहीं करनी चाहिए। बेटा धीरज रखो एक दिन सबकी पोल खुल जाता है।

साधु गुरु की बातें सुन संतुष्ट हो फिर निकल पड़ा अपने ईश्वर की प्रचार के लिए सद्भावना प्रेम बढ़ाने और अब लोगों को समझाने की भविष्य कोई नहीं जान सकता ना ही टाल सकता है।

और एक दिन उन्हें खबर मिला कि उस शहर के ढोंगी बाबा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है उसके बुरे कामों के पोल खुल चुकी हैं कि वह एक अपराधी था।


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